• Call Us Anytime
  • +91-9956333300
  • Whatapp Now
  • +91-9415437911

About Us

ABOUT US
२३ वर्षों का
अनुभव
About Us

पं.महेन्द्र शास्त्री (आदर्श जी) - चित्रकूट धाम

भगवान श्री राम की तपस्थली श्री चित्रकूट धाम की पावन माटी में सद्गृहस्थ कथा व्यास पं. महेन्द्र शास्त्री (आदर्श जी) का जन्म ३१ मार्च १९८० को चित्रकूट धाम के प्रसिद्ध कर्मकांडी पाण्डेय परिवार में हुआ , आपके पिता जी का नाम श्री रमाकान्त पाण्डेय एवं माता जी का नाम श्रीमति आशा पाण्डेय है ,आप अपने माता पिता के एकमात्र पुत्र हैं अपने पूर्वजों की परिपाटी का अनुकरण करते हुए आप अपने कुल की ५ वीं पीढ़ी हैं ,अपने घर के भक्तिमय वातावरण में बचपन से ही आपमे भक्ति का अंकुरण हो गया बहुत कम उम्र में श्री हनुमान जी मे आपकी प्रगाढ़ भक्ति हो गयी थी ।

आप अपने दादा जी स्व.पं.श्री गोविन्द प्रसाद पाण्डेय जी से रामायण और कृष्ण चरित्र की कथाओं का श्रवण करते और उन्ही से धीरे-धीरे कर्मकांड की शिक्षा भी प्राप्त करते थे,अपने जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही आपने स्व.पं.श्री रामसखा जी महाराज के द्वारा पंचांग एवं ज्योतिष की शिक्षा प्राप्त की तथा अपनी तरुण अवस्था मे अपने बड़े दादा स्व. पं. चन्द्रशेखर दत्त पाण्डेय जी जो कि संस्कृत व्याकरण के प्रकाण्ड विद्वान तथा श्री मद्भागवत के विख्यात प्रवक्ता थे उन्ही की कृपा छाया में पारंपरिक विधा से श्री मद्भवतगीता, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद्भागवत और अन्य पवित्र शास्त्रों का ज्ञान भी प्राप्त किया ।

उनके द्वारा दिये शिक्षण के अंतर्गत व्याकरण और पौराणिक प्रवचनों का अभ्यास किया था वर्ष २००० में २०वर्ष की उम्र में, श्री महाराज जी ने अपने निवास के निकट चल रहे नित्य सत्संग में पूरे १ वर्ष तक श्रीमद्भागवत कथा का नित्य नियम पूर्वक वाचन किया जिसमें कथा श्रवण हेतु सभी प्रौढ़ विद्वान नित्य एकत्रित होते जो महाराज जी की कथा वाचन शैली की भूरि भूरि प्रसंशा करते जिसके फलस्वरूप श्री शास्त्री जी के मन मे कथा वाचन की तीब्र उत्कंठा जाग्रत हुई और अपनी पहली अनुष्ठानिक साप्ताहिक भागवत कथा श्री दादा जी की सत्प्रेरणा से कर्वी शहर के पुरानी बाजार स्थित अपने इष्टदेव श्री हनुमान जी के मंदिर में किया जिसमे शास्त्री जी ने अपनी सरल एवं सरस वाणी से श्रोताओं को भागवत कथा श्रवण करा तृप्त किया एवं यहीं से कथा यात्रा का शुभारम्भ किया ।

आपने व्यवहारिक शिक्षा में स्नातक करने के साथ-साथ अन्य शास्त्रों को सीखकर अपने ज्ञान को समृद्ध किया ,संगीत के बोध ने उनकी कथा की रोचकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,आपने रमते राम परम विरक्त शिव स्वरूप ब्रह्मलीन संत श्री मौनी बाबा महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण की तथा उन्ही की कृपा प्रेरणा से विगत २३ वर्षों से पूज्य महाराज श्री न केवल श्री मद्भागवत कथा अपितु श्री राम कथा , श्री शिव महापुराण कथा एवं श्री मद्देवीभागवत की ३०० से भी अधिक कथाओं का वाचन ,यज्ञ, अनुष्ठान आदि धार्मिक कृत्यों को सम्पादित कर सनातन धर्म की ध्वजा सम्पूर्ण भारतवर्ष में फहरा रहे हैं ।

विगत २३ वर्षों से पूज्य महाराज श्री न केवल श्री मद्भागवत कथा अपितु श्री राम कथा , श्री शिव महापुराण कथा एवं श्री मद्देवीभागवत की ३०० से भी अधिक कथाओं का वाचन ,यज्ञ, अनुष्ठान आदि धार्मिक कृत्यों को वैदिक विधा से काशी के विद्वान ब्राह्मणों के साथ सम्पादित कराकर सनातन धर्म की ध्वजा सम्पूर्ण भारतवर्ष में फहरा रहे हैं। अत्यन्त सरलमना व्यक्तित्व के धनी शास्त्री जी कभी अपनी दक्षिणा तय नही करते, धार्मिक अनुष्ठानों के अतिरिक्त सन्त सेवा , गौसेवा ,अनाथ एवं दीनजनों की सेवा महाराज श्री स्वतः बिना किसी सहयोग के करते हैं